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धारा:- 217 इस आशय से मिथ्या इत्तिला देना कि लोक सेवक अपनी विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग दूसरे व्यक्ति को क्षति करने के लिए करे

(IPC) की धारा 182 को (BNS) की धारा 217 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते है
काल्पनिक चित्र

भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 217

(इस आशय से मिथ्या इत्तिला देना कि लोक सेवक अपनी विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग दूसरे व्यक्ति को क्षति करने के लिए करे)

जो कोई किसी लोक सेवक को कोई ऐसी इत्तिला, जिसके मिथ्या होने का उसे ज्ञान या विश्वास है, इस आशय से देगा कि वह उस लोक सेवक को प्रेरित करे या यह सम्भाव्य जानते हुए देगा कि वह उसको तद्वारा प्रेरित करेगा कि वह लोक सेवक-

(क) कोई ऐसी बात करे या करने का लोप करे जिसे वह लोक सेवक, यदि उसे उस सम्बन्ध में, जिसके बारे में ऐसी इत्तिला दी गई है, तथ्यों को सही स्थिति का पता होता तो न करता या करने का लोप न करता,

  या

(ख) ऐसे लोक सेवक की विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग करे जिस उपयोग से किसी व्यक्ति को क्षति या क्षोभ हो,वह दोनों में से, किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

उदाहरण:- (क) श्यामा एक मजिस्ट्रेट को यह इत्तिला देता है कि फरीद एक पुलिस अधिकारी, जो ऐसे मजिस्ट्रेट का अधीनस्थ है, कर्त्तव्य पालन में उपेक्षा या अवचार का दोषी है, यह जानते हुए देता है कि ऐसी इत्तिला मिथ्या है, और यह सम्भाव्य है कि उस इत्तिला से वह मजिस्ट्रेट फरीद को पदच्युत कर देगा। श्यामा ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।

(ख) मोहन एक लोक सेवक को यह मिथ्या इत्तिला देता है कि सोहन के पास गुप्त स्थान में विनिषिद्ध नमक है। वह इत्तिला यह जानते हुए देता है कि ऐसी इत्तिला मिथ्या है, और यह जानते हुए देता है कि यह सम्भाव्य है कि उस इत्तिला के परिणामस्वरूप सोहन के परिसर की तलाशी ली जाएगी, जिससे सोहन को क्षोभ होगा। मोहन ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।

(ग) एक पुलिसजन को राम यह मिथ्या इत्तिला देता है कि एक विशिष्ट ग्राम के पास उस पर हमला किया गया है और उसे लूट लिया गया है। वह अपने पर हमलावर के रूप में किसी व्यक्ति का नाम नहीं लेता। किन्तु वह यह जानता है कि यह सम्भाव्य है कि इस सूचना के परिणामस्वरूप पुलिस उस ग्राम में जांच करेगी और तलाशियां लेगी, जिससे ग्रामवासियों या उनमें से कुछ को क्षोभहोगा। राम ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।
 
अपराध का वर्गीकरण

सजा:- 1 वर्ष के लिए कारावास, या 10,000 रुपए का जुर्माना, या दोनों

अपराध:- असंज्ञेय

जमानत:- जमानतीय

विचारणीय:- कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता हैं।






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